दिल से रिश्ते जुड़े थे
लेकिन फासले बहुत थे|
जो अभी तक अनेक थे
अब वो कुछ ही रह गए थे|
शमा तो एक था,
क्यों जाने मेल अलग थे|
मिलना तो था लेकिन
फिर मिल कर भी मिल न पाए |
भूल गए ये रास्ता जान कर
तब समझा ये फासले कितने थे हम में|
दुनिया तो बन गयी अलग
जाने तब भी दिल तुम्को ही चाहे|
ज़िन्दगी के इस सफ्हर में कुछ रहे,
तो कुछ छोड़ हाथ हमारा
दूजो के साथ चले गए|
पुकार-पुकार, मंजिल ढूंढ़-ढूंढ़
तब भी लेकिन क्यों अकेले ही रहे|
जान तो पाए नहीं
लेकिन जिज्ञासा के भवर में रहे
और अपनों की दुनिया में रह
कर भी अकेले ही हम रहे|
तो यु ये ज़िन्दगी कर तुम्हारे नाम,
प्यार के परवानो में हम भी शरीक हो गए|
लेकिन फासले बहुत थे|
जो अभी तक अनेक थे
अब वो कुछ ही रह गए थे|
शमा तो एक था,
क्यों जाने मेल अलग थे|
मिलना तो था लेकिन
फिर मिल कर भी मिल न पाए |
भूल गए ये रास्ता जान कर
तब समझा ये फासले कितने थे हम में|
दुनिया तो बन गयी अलग
जाने तब भी दिल तुम्को ही चाहे|
ज़िन्दगी के इस सफ्हर में कुछ रहे,
तो कुछ छोड़ हाथ हमारा
दूजो के साथ चले गए|
पुकार-पुकार, मंजिल ढूंढ़-ढूंढ़
तब भी लेकिन क्यों अकेले ही रहे|
जान तो पाए नहीं
लेकिन जिज्ञासा के भवर में रहे
और अपनों की दुनिया में रह
कर भी अकेले ही हम रहे|
तो यु ये ज़िन्दगी कर तुम्हारे नाम,
प्यार के परवानो में हम भी शरीक हो गए|
nice poem!! :) draws true picture of life.. !
ReplyDeleteGood Work :) Keep it up :)
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