जिंदगानी

दिल से रिश्ते जुड़े थे
  लेकिन फासले बहुत थे|
जो अभी तक अनेक थे
 अब वो कुछ ही रह गए थे|
शमा तो एक था,
  क्यों जाने मेल अलग थे|

मिलना तो था लेकिन
 फिर मिल कर भी मिल न पाए |
भूल गए ये रास्ता जान कर
 तब समझा ये फासले कितने थे हम में|
दुनिया तो बन गयी अलग
  जाने तब भी दिल तुम्को ही चाहे|

ज़िन्दगी के इस सफ्हर में कुछ रहे,
तो कुछ छोड़ हाथ हमारा
  दूजो के साथ चले गए|
पुकार-पुकार, मंजिल ढूंढ़-ढूंढ़
 तब भी लेकिन क्यों अकेले ही रहे|

जान तो पाए नहीं
  लेकिन जिज्ञासा के भवर में रहे
और अपनों की दुनिया में रह
  कर भी अकेले ही हम रहे|
तो यु ये ज़िन्दगी कर तुम्हारे नाम,
 प्यार के परवानो में हम भी शरीक हो गए|

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